श्रीदत्ता
आज हमारी पृथ्वी पर चारों तरफ से घोर संकट मंडरा रहा है।आज विकास व प्रगति के नाम पर अनेक प्रकार की वैज्ञानिक खोजें और उनके अंधाधुंध प्रयोग ने हमारी सुन्दरतम पृथ्वी के पर्यावरण को पूर्णतया दूषित कर दिया है । जिसकी वजह से पूरी मानव जाति का भविष्य एक बहुत बड़े संकट व खतरे से घिर चुका है।
मानव जीवन प्रकृति की देन है, अत: हम मनुष्य प्रकृति से कट कर या उसे उजाड़ कर एक शांतिपूर्ण व समृद्ध जीवन नहीं जी पायेंगे । हमारा वातावरण आज चारों ओर से इतना प्रदूषित हो गया है कि अनेक स्थानों पर आज ठीक से साँस लेना भी मुश्किल हो गया है । विश्व के अनेक वैज्ञानिक आज पर्यावरण के प्रदुषण को देख कर अत्यधिक चिंताग्रस्त हैं और वे इसे मनुष्य जाति के अस्तित्व पर एक बहुत बड़े खतरे के रुप में इसे देखने लगे हैं । इससे पहले की बहुत देर हो जाये, संपूर्ण मानव जाति को पर्यावरण के इस खतरे के प्रति जागरूक होना। विश्व की सभी बड़ी-छोटी महाशक्तियों को आपसी मतभेद भूला कर सर्वप्रथम इस सुंदरतम पृथ्वी को बचाने का प्रयास करना चाहिए ।
प्रकृति जो हमें जीने के लिए स्वच्छ वायु, पीने के लिए साफ शीतल जल और खाने के लिए कंद-मूल-फल उपलब्ध कराती रही है, वही अब संकट में है। आज उसकी सुरक्षा का सवाल उठ खड़ा हुआ है। यह धरती माता आज तरह-तरह के खतरों से जूझ रही है।
श्रीदत्ता
आज दुनिया की आबादी 7.50 अरब से ज्यादा हो चुकी है। आने वाले दशकों में आबादी और कितनी बढ़ेगी, इसका अनुमान लगाना बहुत असंभव सा जान पड़ता है। लेकिन दुनिया भर के अनुसंधान में जुटे वैज्ञानिक इस मुद्दे पर एकमत हैं कि दुनिया भर में लोगों की संख्या भयानक रूप से बढ़ रही है। ऐसीमान्यता है कि वर्ष 2030 तक दुनिया की आबादी 8.50 अरब से ज्यादा हो जायेगी।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा हा कि वाले दिनों में सबसे ज़्यादा आबादी अफ्रीकी देशों में बढ़ने वाली है। माना जा रहा है कि आने वाली सदी 2100 में अफ्रीका की मौजूदा आबादी बढ़कर तीन से चार अरब हो जाएगी, जो अभी एक अरब के आसपास है। अफ्रीका के बड़ी संख्या वाले शहरों के साथ साथ एशियाई के बहुत से महानगर भी बढ़ती हुई आबादी को संभाल नहीं पाएंगे।
वर्तमान समय में ही ढाका और मुंबई जैसे महानगरों में ये चुनौतियां दिखने लगी हैं।
पीने का स्वच्छ पानी लोगों के लिए दुर्लभ और महंगा हो जायेगा। घनी आबादी वाले शहरों के हर तरफ कूड़े कचरे का अंबार नजर आयेगा और लोग हरियाली देखने को तरस जायेंगे। आबादी बढ़ने की वजह से पर्यावरण नष्ट हो जायेगा और भूमि की उर्वर क्षमता समाप्त होकर खेती योग्य भूमि जयादातर बंजर ही जायेगी। अत: इस काल में, मध्यम और उच्च वर्ग में असमानता बहुत अधिक हो जायेगी।
आज आप चाहे पहाड़ों पर छुट्टियाँ मनाने चले जाओं या फिर समुद्री तट पर, आपको हर तरफ लोगों की भीड़ और समूह ही दिखाई देंगे। आज दुनिया में जिस तरह से भीड़ बढ़ती जा रही है उससे तो ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में प्रत्येक वस्तु का अभाव हो जायेगा। अत: उस काल में मनुष्य का जीवन अत्यधिक कष्टप्रद होने वाला है ।
भारत में भी जनसंख्या की वृद्धि बहुत ही तेजी से बढ़ रही है और यदि इसे नियंत्रण में न लिया गया तो भारत की स्थिति भी बहुत भयानक हो जायेगी। अगर हमारे देश की यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब हम आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पायेंगे। जिसका एकमात्र समाधान जनसंख्या नियंत्रण कानून ही है।
जनसंख्या के इस बढ़ते दबाव के कारण कृषि की भूमि कम हो जायेगी, जिससे अनाज की पैदावार कम होगी और अनाज का संकट पैदा हो जायेगा। पीने का पानी भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, जो पानी उपलब्ध है वह पीने योग्य नहीं रह गया है। इसके अलावा लाखों-करोड़ों लोग स्वास्थ्य और शिक्षा की प्रारंभिक ज़रूरतों से वंचित हो जाएंगे।
आज विकास हमारे लिए विनाश का पर्याय बनता जा रहा है। वर्तमान में, भारत की जनसंख्या लगभग 135 करोड़ से ज्यादा हो गई है, जबकि 1947 में यह केवल 32/33 करोड़ थी। आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी ज्यादा है। आज भारत और अन्य एशियाई देशों में शिक्षा और जागरूकता के अभाव में बढती जनसंख्या के गंभीर खतरे साफ साफ दिखाई दे रहे हैं। यदि भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रण में नहीं लिया तो 2030 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा।
आज विकास हमारे लिए विनाश का पर्याय बनता जा रहा है। वर्तमान में, भारत की जनसंख्या लगभग 135 करोड़ से ज्यादा हो गई है, जबकि 1947 में यह केवल 32/33 करोड़ थी। आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी ज्यादा है। आज भारत और अन्य एशियाई देशों में शिक्षा और जागरूकता के अभाव में बढती जनसंख्या के गंभीर खतरे साफ साफ दिखाई दे रहे हैं। यदि भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रण में नहीं लिया तो 2030 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा।
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