नमस्ते मित्रो, मैं श्रीदत्ता हूँ - प्रकृति से प्रेम करने वाला , पशु प्रेमी और एकांतप्रिय व्यक्ति हूँ। मेरी लेखन, पठन-पाठन और ध्यान-साधना में रूचि है । मुझे हल्का मृदु संगीत भाता है। मुझे दूरस्थ और अनजान स्थानों की यात्रा करना पसंद है । मैं हिमालय क्षेत्र के उत्तरी भाग वाले राज्य हिमाचल प्रदेश का निवासी हूं।
वर्षों से मैं " सत्य” की खोज में रत हूं। मेरा मानना है कि जब हम किसी भी ढंग से खुद को निरंतर आंतरिक तौर पर निखारते रहते हैं और उस प्रक्रिया में जब हमारा उस चेतना के दिव्य सरोवर में स्नान हो जाता है तब द्वैत का पर्दा हट जाता है। मेरा यह भी मानना है कि कर्म सार्वभौमिक न्याय प्रणाली है और जो हम देते हैं वह हमको वापस मिलता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा।
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